Wrote this on 16th November 2010.
मैंने आपसे मोहाब्बत की हे कोई गुनाह नहीं,
आपको समझनेकी कोशिश की हे लेकिन समझा नहीं,
प्यार करनेकी जुर्रत की हे पर कामियाब नहीं,
लबों पे आई हुई बात सिर्फ आवाज़ नहीं,
मेरे दिल से निकली इबादत सिर्फ दुआ नहीं,
और आपका यूँ हमसे मिलना सिर्फ इत्तेफाक नहीं.
- यशपालसिंह जडेजा
मैंने आपसे मोहाब्बत की हे कोई गुनाह नहीं,
आपको समझनेकी कोशिश की हे लेकिन समझा नहीं,
प्यार करनेकी जुर्रत की हे पर कामियाब नहीं,
लबों पे आई हुई बात सिर्फ आवाज़ नहीं,
मेरे दिल से निकली इबादत सिर्फ दुआ नहीं,
और आपका यूँ हमसे मिलना सिर्फ इत्तेफाक नहीं.
- यशपालसिंह जडेजा